कृषी शास्त्र | Krishi Shastra

- श्रेणी: Agriculture and Environment | कृषि और पर्यावरण तकनीक व कंप्यूटर / Computer - Technology
- लेखक: तेज शंकर - Tej Shankar
- पृष्ठ : 394
- साइज: 21 MB
- वर्ष: 1931
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दो शब्द :
इस पाठ में कृषी-शास्त्र के महत्व और किसानों की स्थिति पर चर्चा की गई है। लेखक पंडित तेजशंकर काचक ने कृषी-कर्म को मानव जाति के लिए अत्यंत आवश्यक बताया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी देश में कृषि की स्थिति नहीं सुधरती, तो वहाँ सामाजिक या आर्थिक उन्नति संभव नहीं है। भारत में अधिकांश जनसंख्या किसान है, लेकिन उनकी दुर्दशा चिंताजनक है। किसानों को मेहनत करने के बावजूद पर्याप्त अनाज नहीं मिल रहा है, और उन्हें दरिद्रता का सामना करना पड़ रहा है। लेखक ने किसानों के आलसी या निस्क्रिय होने के विचार का विरोध किया है और कहा है कि यदि वे मेहनत करने के बावजूद भूखों मर रहे हैं, तो यह उनकी निराशा का परिणाम है। लेखक ने कृषी-शास्त्र पर एक उपयोगी ग्रंथ लिखने का प्रयास किया है, जिसमें सभी आवश्यक जानकारी और पशुओं की बीमारियों का उपचार भी शामिल है। उन्होंने सुझाव दिया है कि यह पुस्तक किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी होगी और सरकार को चाहिए कि इसकी लाखों प्रतियाँ मुफ्त में वितरित की जाएँ। पुस्तक में विभिन्न विषयों को विस्तार से बताया गया है, जैसे वनस्पति, भूमि, फसलें, कीट, पशु चिकित्सा, और यूरोपीय कृषी तकनीक। लेखक ने साधारण भाषा में जानकारी प्रस्तुत की है ताकि आम किसान इसे आसानी से समझ सकें। अंत में, लेखक ने इस पुस्तक की सराहना की है और इसे कृषी शिक्षा में एक महत्वपूर्ण योगदान माना है।
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