नाभादास कृत भक्तमाल एक अध्ययन | Nabhadas Krit Bhaktamal Ek Adhyayan

- श्रेणी: साहित्य / Literature
- लेखक: प्रकाशनारायण-दीक्षित - Prakash Narayan Dixit
- पृष्ठ : 186
- साइज: 6 MB
- वर्ष: 1961
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दो शब्द :
इस पाठ में नाभादास द्वारा रचित "भक्तमाल" ग्रंथ का विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ हिंदी साहित्य में "रामचरितमानस" के बाद एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नाभादास का उद्देश्य भक्तों के प्रति श्रद्धा और सम्मान उत्पन्न करना था, जिससे जनता में भक्तों के प्रति पूज्य भाव बढ़ा। पाठ में नाभादास के जीवन, उनके युग की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों का विश्लेषण किया गया है। नाभादास का व्यक्तित्व और उनकी रचनाएँ भी इस अध्ययन का हिस्सा हैं। "भक्तमाल" में विभिन्न भक्तों की जीवनी और उनके योगदान का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ न केवल भक्तों के जीवन का परिचय देता है, बल्कि धार्मिक और साहित्यिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। पाठ में नाभादास की काव्य कला, भाषा और उनकी प्रतीक योजना पर भी चर्चा की गई है। नाभादास को हिंदी साहित्य का पहले समालोचक माना जाता है, और उनका कार्य भक्तों के जीवन को उजागर करने में महत्वपूर्ण है। अंत में, पाठ यह बताता है कि कैसे "भक्तमाल" ने भक्तों के चरित्र को अमर किया और साहित्य के विकास में योगदान दिया। यह ग्रंथ न केवल भक्ति साहित्य का एक स्तंभ है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
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