शादी | Shadi

- श्रेणी: साहित्य / Literature
- लेखक: गुरुदत्त - Gurudutt
- पृष्ठ : 184
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1963
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दो शब्द :
इस पाठ में पुरुष-स्त्री के संबंधों की जटिलता और विवाह की भूमिका पर चर्चा की गई है। यह बताया गया है कि पुरुष-स्त्री का संबंध एक विशेष प्रकार का होता है, जिसमें दोनों पक्षों का अनुभव और प्रभाव शामिल होता है। इस संबंध की रसमयता और उससे जुड़े सुख-दुख को समझने के लिए कई सवाल उठाए गए हैं, जैसे कि क्या इस संबंध को नियंत्रित करने के लिए विवाह का होना आवश्यक है या नहीं, और विवाह का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है। कहानी में सेठ महेश्वर प्रसाद और उनकी पत्नी सत्यवती के परिवार का वर्णन किया गया है। सत्यवती अपने बच्चों की परीक्षा की तैयारी की चिंता कर रही हैं, जबकि उनका बेटा सिद्धेश्वर पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रहा है। उनकी बेटी रेवा की तबीयत ठीक नहीं है, और जब सत्यवती उससे मिलती हैं, तो पता चलता है कि वह गर्भवती है। रेवा अपनी स्थिति को लेकर चिंतित है और उसे लगता है कि यह सब उसके भविष्य को प्रभावित करेगा। पाठ में यह भी बताया गया है कि समाज में इस तरह की समस्याओं को सुलझाने के लिए विवाह एक महत्वपूर्ण संस्था है। विवाह से जुड़ी जिम्मेदारियों और इससे उत्पन्न होने वाले परिणामों पर विचार करते हुए पाठक को यह सोचने पर मजबूर किया जाता है कि क्या विवाह वास्तव में जीवन में स्थिरता लाने में मदद करता है या यह केवल एक औपचारिकता है। इस प्रकार, पाठ विवाह और संबंधों की जटिलताओं को समझने का प्रयास करता है और यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कैसे किया जाना चाहिए।
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