पांडव-पुराण अथवा जैन महाभारत | Pandav-puran Athva Jain Mahabahrat

By: घनश्यामदास - Ghanshyamdas
पांडव-पुराण अथवा जैन महाभारत  | Pandav-puran Athva Jain Mahabahrat by


दो शब्द :

यह पाठ एक प्रकाशक के द्वारा प्रस्तुत एक अनुवाद का परिचय है, जिसमें पांडव-पुराण का हिंदी में अनुवाद करने की आवश्यकता और उद्देश्य का उल्लेख किया गया है। प्रकाशक उद्यलाल काशलीवाल और विहारीलाल कठनरा द्वारा इस कार्य को करने के पीछे विचार है कि भारत के विभिन्न धर्मों का साहित्य एक सामान्य भाषा में उपलब्ध हो, ताकि हर कोई उसे समझ सके। हिंदी को इस कार्य के लिए उपयुक्त भाषा माना गया है। वे यह स्वीकार करते हैं कि उनके अनुवाद में कुछ कमी हो सकती है, लेकिन वे आशा करते हैं कि पाठक इसे सराहेंगे। प्रकाशक ने अपनी सफलताओं के बारे में भी बताया है कि उन्होंने पहले छोटे कार्यों में कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अब वे बड़े ग्रंथों के प्रकाशन में सक्षम हैं। वे पाठक से सहयोजकों की मदद की उम्मीद करते हैं, ताकि उनके कार्य को आगे बढ़ाया जा सके। इसके बाद, पाठ में पांडव-पुराण की कथा का संक्षिप्त वर्णन है, जिसमें वीरप्रभु की महिमा और उनके अनुयायियों की भक्ति का उल्लेख किया गया है। पाठ में राजा शांतनु और मत्स्यगंधा की कथा का भी विवरण है, जो भारतीय पुराणों की एक महत्वपूर्ण कहानी है। इस प्रकार, यह पाठ धार्मिक साहित्य के अनुवाद और उसके महत्व के साथ-साथ पांडवों की कथा को प्रस्तुत करता है।


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