परती परिकथा | Parti Parikatha

- श्रेणी: उपन्यास / Upnyas-Novel
- लेखक: अज्ञात - Unknown
- पृष्ठ : 546
- साइज: 14 MB
- वर्ष: 1923
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दो शब्द :
इस पाठ में एक गांव की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का वर्णन किया गया है। कहानी में विभिन्न पात्रों की बातचीत और उनकी गतिविधियों के माध्यम से गांव की जीवनशैली का चित्रण किया गया है। जित्तन बाबू और अन्य पात्रों के बीच संवाद होते हैं, जिससे यह पता चलता है कि गांव में एक उत्सव या कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। पात्रों के बीच की बातचीत में हास्य और सहानुभूति का भी भाव है। ताजमनी और मीत के संवाद से यह स्पष्ट होता है कि वे एक-दूसरे के साथ खेल रहे हैं और एक दूसरे की शरारतों का आनंद ले रहे हैं। गांव में एक प्रकार का संकट भी है, जिसमें पानी की कमी का उल्लेख किया गया है। लोग इस समस्या का सामना कर रहे हैं और इसे हल करने के उपायों की तलाश कर रहे हैं। इस बीच, रघ्यू और अन्य पात्रों के माध्यम से धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी उल्लेख है, जैसे कथा सुनना और गुरु की महिमा का बखान करना। कहानी में सुन्दरि नेका का उल्लेख है, जो गांव की एक महत्वपूर्ण पात्रा है। वह अपने भाई सुन्दर नायक के माध्यम से गांव में एक आयोजन कर रही है, जिसमें प्यार और प्रेम की बातें की जा रही हैं। यह आयोजन राकसों के साथ जुड़ा हुआ है, जो गांव की संस्कृति में एक अहम स्थान रखते हैं। अंत में, पाठ का एक भावात्मक और सामाजिक पहलू भी है, जिसमें विभिन्न पात्रों के बीच के रिश्तों और उनकी भावनाओं का चित्रण किया गया है। सभी पात्र अपनी-अपनी समस्याओं और खुशियों के साथ एकजुट होकर गांव के जीवन को जीते हैं। यह कहानी न केवल गांव की संस्कृति को उजागर करती है, बल्कि मानवीय भावनाओं और संबंधों की गहराई को भी दर्शाती है।
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