श्रीमदवाल्मीकीय रामायण ( द्वितीय भाग ) | Shreemadvalmikiya Ramayan ( bhag -2)

- श्रेणी: ग्रन्थ / granth धार्मिक / Religious पौराणिक / Mythological हिंदू - Hinduism
- लेखक: महर्षि वाल्मीकि - Maharshi valmiki
- पृष्ठ : 841
- साइज: 45 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के सुन्दकाण्ड का वर्णन किया गया है, जिसमें हनुमानजी द्वारा सीता की खोज और उनके साहसिक कारनामों का वर्णन है। हनुमानजी ने समुद्र पार करके लंका में प्रवेश किया और वहां सीता माता की खोज की। उन्होंने रावण के महल में प्रवेश किया, जहां उन्होंने सीता को दुखी पाया। हनुमानजी ने रावण के महल और पुष्पक विमान का भी अवलोकन किया। पाठ में हनुमानजी की भक्ति, उनकी शक्ति, और उनकी कृतियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। उन्होंने मैनाक पर्वत का भी सामना किया, जिसने उन्हें विश्राम करने का निमंत्रण दिया। मैनाक ने हनुमानजी की साहसिकता की प्रशंसा की और उनके ऊपर अपने पर्वत का सम्मान किया। हनुमानजी ने मैनाक से कहा कि उन्हें अपने कार्य के लिए जल्दी है और उन्होंने वहां से उड़ान भरी। पाठ में यह भी दर्शाया गया है कि हनुमानजी की महानता और बलिदान के कारण देवता और अन्य शक्तिशाली beings उनकी प्रशंसा करते हैं। बाद में, सुरसा नाम की एक राक्षसी ने हनुमानजी का सामना किया, जिसने उन्हें खाने का प्रयास किया। लेकिन हनुमानजी ने अपनी बुद्धिमत्ता और शक्ति से उसे मात दी। पाठ में हनुमानजी की वीरता और उनकी अद्वितीय क्षमताओं का उल्लेख है, जो उन्हें एक महान योद्धा के रूप में स्थापित करता है। इस तरह, यह पाठ हनुमानजी के साहसिक कार्यों, उनके समर्पण और रामायण की कथा में उनके महत्वपूर्ण स्थान को दर्शाता है।
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