अरस्तु | Arastu

- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy साहित्य / Literature
- लेखक: शिवानंद-शर्मा - Shivanand-Sharma
- पृष्ठ : 255
- साइज: 8 MB
- वर्ष: 1960
-
-
Share Now:
दो शब्द :
अरस्तू यूरोप के प्राचीन विचारकों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनके ग्रंथों का राजनीति, समाज व्यवस्था और अन्य क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। लेखक शिवानन्द शर्मा ने अरस्तू के विचारों का सार प्रस्तुत करने के लिए इस पुस्तक का लेखन किया है। अरस्तू का आधुनिक चिंतन में बड़ा योगदान है, और उनकी मान्यताएँ आज भी प्रासंगिक हैं। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश शासन की योजना के तहत विश्व के ज्ञान-विज्ञान को हिंदी में प्रस्तुत करने का हिस्सा है। अरस्तू के जीवन, उनके साहित्य और विचारों का संक्षिप्त परिचय इस पुस्तक में दिया गया है। लेखक ने अरस्तू के विचारों का गहन अध्ययन किया है और उन्हें सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। पुस्तक में यूनानी भाषा के कुछ शब्दों और उनके उच्चारण की जानकारी भी दी गई है, जिससे पाठक बेहतर समझ सकें। अरस्तू का चिंतन प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रभावों से प्रभावित हुआ है। उन्होंने भौतिक जगत और मानवीय अध्ययन की सीमाएँ निर्धारित करने का प्रयास किया। अरस्तू के विचारों को समझने के लिए यूनानी चिंतन की मुख्य रेखाओं पर एक दृष्टि डालना आवश्यक है। पुस्तक में अरस्तू के समय के विभिन्न विचारों और दार्शनिक परंपराओं का उल्लेख किया गया है, जिससे पाठक उनके विचारों को बेहतर तरीके से समझ सकें। अंत में, लेखक ने उन सभी लोगों का आभार व्यक्त किया है जिन्होंने उन्हें अरस्तू के ग्रंथों को समझने में मदद की। यह पुस्तक अरस्तू के विचारों को हिंदी पाठकों के लिए उपलब्ध कराने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.