तुलसी -ग्रन्थावली (खंड -२) | Tulsi -Granthavali ( Khand-2)

By: गोस्वामी तुलसीदास - Gosvami Tulaseedas
तुलसी -ग्रन्थावली (खंड -२) | Tulsi -Granthavali ( Khand-2) by


दो शब्द :

यह पाठ गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं का संकलन है, जिसमें उनकी प्रमुख रचनाएं शामिल हैं, जैसे रामलला नहछू, वैराग्य संदीपिनी, बरवै रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, रामाज्ञा प्रश्न, दोहावली, कवितावली, गीतावली, कृष्णगीतावली और विनय पत्रिका। यह ग्रंथावली काशी-नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित की गई है, जिसका उद्देश्य तुलसीदास की रचनाओं का संरक्षण और प्रचार करना है। तुलसीदास की रचनाओं में रामचरितमानस सबसे प्रसिद्ध है, लेकिन अन्य रचनाओं को भी महत्व देने की आवश्यकता महसूस की गई। बीसवीं सदी में शिक्षित वर्ग के बीच कवियों की रचनाओं के अध्ययन की प्रवृत्ति बढ़ी, जिससे तुलसीदास के अन्य ग्रंथों के प्रकाशन का निर्णय लिया गया। रामलला नहछू एक छोटी रचना है, जिसमें पुत्र जन्म और विवाह जैसे शुभ अवसरों पर गाए जाने वाले सोहर छंद शामिल हैं। वैराग्य संदीपिनी में संतों की महिमा और शांति का वर्णन है। बरवै रामायण में गोस्वामी जी के बरवों का संग्रह है। पार्वती मंगल और जानकी मंगल में शिव-पार्वती तथा राम-सीता के विवाह का वर्णन है। रामाज्ञा प्रश्न में शकुन विचारने की विधि दी गई है। दोहावली में धर्मोपदेश और नीति पर दोहे हैं। कवितावली और गीतावली में रामचरित्र का वर्णन ब्रज भाषा में किया गया है। विनय पत्रिका उनकी अंतिम रचना मानी जाती है, जिसमें प्रार्थना के रूप में विनय के पद हैं। इन रचनाओं का संकलन तुलसीदास की समग्र काव्य प्रतिभा और भक्तिभाव को दर्शाता है। यह ग्रंथावली तुलसीदास की त्रिशत जयंती के अवसर पर प्रकाशित की गई और इसे विभिन्न क्षेत्रों में भक्ति, ज्ञान और संस्कृति के प्रसार के लिए समर्पित किया गया है।


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