राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम | Rajasthan mein Swatantrata Sangram
- श्रेणी: इतिहास / History भारत / India
- लेखक: बी. एल. पानगड़िया - B. L. Panagariya
- पृष्ठ : 187
- साइज: 8 MB
- वर्ष: 1964
-
-
Share Now:
दो शब्द :
पुस्तक "राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम" राजस्थान की जनता के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान का महत्वपूर्ण वर्णन प्रस्तुत करती है। लेखक वी. एल. पानगड़िया ने इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विचारों से प्राप्त की, जिन्होंने इतिहास की पाद्यपुस्तकों में स्वतंत्रता संग्राम की सही कहानी को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस पुस्तक में स्वतंत्रता संग्राम की कहानी 1857 के विद्रोह से शुरू होकर 1949 तक फैली हुई है, जिसमें राजस्थान की रियासतों में हुए जन आंदोलनों का विवरण शामिल है। लेखक ने बताया कि आज़ादी के पूर्व राजस्थान में कई रियासतें थीं, जिनमें शासकों ने अपने लोगों पर निरंकुशता से शासन किया। इन रियासतों में लोकतांत्रिक अधिकारों की कमी थी और वहां नागरिक स्वतंत्रता का नामोनिशान नहीं था। राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, रियासतों की जनता ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया, लेकिन उन्होंने अपने शासकों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। विभिन्न रियासतों में अलग-अलग समय पर जन आंदोलन हुए, जिनमें प्रजामंडल और अन्य संगठनों का गठन किया गया। लेखक ने इस पुस्तक में विभिन्न रियासतों के आंदोलनों का विवरण प्रस्तुत किया है और उन प्रमुख कार्यकर्ताओं की भूमिका को भी रेखांकित किया है जो इन आंदोलनों में शामिल रहे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि कुछ जानकारी की कमी के कारण पुस्तक में कुछ विवरण छूट सकते हैं, और पाठकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। इस प्रकार, यह पुस्तक राजस्थान की जनता के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की एक समग्र और विस्तृत तस्वीर प्रस्तुत करती है, जो न केवल छात्रों के लिए बल्कि सामान्य जनता के लिए भी ज्ञानवर्धक है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.