प्रतिहार राजपूतों का इतिहास | Pratihar Rajputon ka Itihas

- श्रेणी: इतिहास / History
- लेखक: रामलखन सिंह - ramlakhan singh
- पृष्ठ : 401
- साइज: 10 MB
- वर्ष: 1905
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दो शब्द :
पाठ में गुर्जर-प्रतीहारों के इतिहास पर प्रकाश डाला गया है, जो मण्डोवर से नागौद तक विस्तारित है। लेखक शमलखन सिंह ने इस विषय में गहन अध्ययन किया और पाया कि पहले प्रकाशित ग्रंथों में प्रतीहारों के साम्राज्यवादी युग का तो वर्णन है, लेकिन उनके प्रारंभिक इतिहास की उपेक्षा की गई है। उन्होंने विभिन्न स्रोतों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि गुर्जर-प्रतीहारों की एक शाखा कन्नौज से ग्वालियर होते हुए दमोह पहुंची और वहां एक स्वतंत्र राज्य स्थापित किया। लेखक ने विभिन्न विद्वानों से सहयोग प्राप्त किया और पुरातात्विक साक्ष्यों का उपयोग करते हुए इस इतिहास को संकलित किया। उन्होंने बताया कि प्रतीहारों का इतिहास केवल साम्राज्यवादी युग तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके स्थानीय इतिहास को भी समझने की आवश्यकता है। लेखक ने विभिन्न ग्रंथों का अध्ययन किया और नए शिलालेखों की खोज की, जिससे गुर्जर-प्रतीहारों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हुई। इस ग्रंथ का उद्देश्य गुर्जर-प्रतीहारों के इतिहास को उजागर करना है, विशेष रूप से उनके साम्राज्य के पतन के बाद की गतिविधियों का वर्णन करना। लेख में लेखक ने अपने जीवन के अनुभवों, अध्ययन की प्रक्रिया और अन्य विद्वानों के योगदान का भी उल्लेख किया है। अंत में, लेखक ने इस कार्य को अपने पुत्र को सौंपा, ताकि यह महत्वपूर्ण इतिहास लोगों के सामने आ सके।
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