श्री कल्कि पुराण | Shree Kalki Puran

By: श्रीराम शर्मा आचार्य - Shri Ram Sharma Acharya


दो शब्द :

इस पाठ में "कल्कि पुराण" की भूमिका और महत्व पर चर्चा की गई है, जिसे वर्तमान समय में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेखक ने बताया है कि मानवता विज्ञान और ज्ञान के क्षेत्र में प्रगति कर रही है, लेकिन इसके साथ ही उसके जीवन में नैतिकता और न्याय की कमी है, जिससे समाज में असंतोष और संघर्ष उत्पन्न हो रहे हैं। यह विरोधाभास दर्शाता है कि हमारी सभ्यता की जड़ में कोई गड़बड़ी है। लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल ज्ञान और विज्ञान की प्रगति से सामाजिक समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता, जब तक कि न्याय और सत्य की स्थापना नहीं होती। "कल्कि" के अवतार की चर्चा करते हुए, लेखक ने यह सिद्धांत रखा है कि कल्कि का आगमन मानवता में "सत्य युग" की पुनर्स्थापना के लिए होगा। इसके लिए दैवी शक्तियों के साथ-साथ मानव प्रयासों की भी आवश्यकता है। पाठ में यह विचार भी प्रस्तुत किया गया है कि वर्तमान समय में मानवता में स्वार्थ और हिंसा की प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं। एकता और सहयोग की भावना का अभाव है, जिससे समाज में असुरक्षा और भय का वातावरण बन रहा है। लेखक ने यह भी कहा है कि जो व्यक्ति समाज के कल्याण की चिंता नहीं करता, वह समाज में बुराइयों का कारण बनता है। अंत में, "कल्कि" के अवतार की परिकल्पना को एक नई सभ्यता की स्थापना के रूप में देखा गया है, जिसमें मनुष्य को प्रेम और सहयोग के मार्ग पर चलने का निर्देश दिया जाएगा। इस प्रकार, पाठ में मानवता के सुधार और नैतिकता की स्थापना के लिए "कल्कि" के आगमन की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।


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