क्रांति बीज | Kranti Bij

- श्रेणी: धार्मिक / Religious
- लेखक: आचार्य श्री रजनीश (ओशो) - Acharya Shri Rajneesh (OSHO)
- पृष्ठ : 206
- साइज: 2 MB
- वर्ष: 1960
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दो शब्द :
पाठ में जीवन और ज्ञान की गहराईयों का वर्णन किया गया है। लेखक अपनी व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से यह बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में कई बीज बोए हैं, जो अब प्रकट हो चुके हैं और उन्हें नए दृष्टिकोण से देखने का अवसर प्रदान कर रहे हैं। यह अनुभव उन्हें अदृश्य और अज्ञात जगत का आभास कराता है, जो सामान्य आंखों से नहीं देखा जा सकता। लेखक ने त्याग के अर्थ को भी परिभाषित किया है, यह बताते हुए कि त्याग कठोरता नहीं है, बल्कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। त्याग का सही मतलब है कि हम जो कुछ छोड़ते हैं, उसके मुकाबले हम बहुत अधिक प्राप्त करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मृत्यु के प्रति डर असल में अपरिचय का परिणाम है। जब हम मृत्यु को समझते हैं, तो उसका भय समाप्त हो जाता है। इसके अलावा, लेखक ने धर्म और नैतिकता के बारे में विचार साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि धर्म का आधार भय नहीं है, बल्कि यह प्रेम और ज्ञान से उत्पन्न होता है। सच्चा धर्म और प्रेम केवल भय से ही नहीं, बल्कि गहरे आत्मज्ञान से आते हैं। अंत में, लेखक यह सुझाव देते हैं कि हमें अपने मन की जालों को तोड़कर सत्य को पहचानना चाहिए, क्योंकि सत्य अमूर्त और अनंत है। हमें धर्म और प्रेम को जगाना चाहिए, न कि उसे आरोपित करना चाहिए। यह पाठ एक गहरी आत्म-खोज की यात्रा का संकेत देता है, जिसमें व्यक्ति को अपने भीतर की सच्चाइयों और जीवन के गहन अर्थों की खोज करनी होती है।
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