रस्टी के कारनामे | RUSTY KE KARNAAME

By: द्रोनवीर-कोहली - Dronveer Kohli रस्किन बांड - Ruskin Bond
रस्टी के कारनामे | RUSTY KE KARNAAME by


दो शब्द :

पाठ में नेहल की दादी का रसोईघर और उनके द्वारा बनाए गए व्यंजनों का वर्णन किया गया है। दादी का रसोईघर भले ही बड़ा नहीं था, लेकिन वहां तरह-तरह के स्वादिष्ट खाने बनते थे, जैसे कबाब, मिठाई, अचार, और विभिन्न प्रकार के मांसाहारी व्यंजन। दादी का खाना बनाने का कौशल अद्वितीय था, और नेहल को हर साल छुट्टियों में दादी के पास आना बहुत पसंद था, क्योंकि वहाँ उसे स्वादिष्ट खाने का भरपूर आनंद मिलता था। नेहल के माता-पिता असम में चाय-बागान के मैनेजर थे और वहां खाना पकाने में उनकी रुचि नहीं थी, इसलिए नेहल हमेशा दादी के पास आने के लिए उत्सुक रहता था। दादी के घर में कई पेड़ थे, जिनमें फलदार पेड़ शामिल थे, और नेहल ने दादी के साथ अपने समय का आनंद लिया। दादी ने हमेशा नेहल की राय जानने के लिए उसे अपने बनाए व्यंजन परोसते हुए प्रतिक्रिया मांगी। पाठ में केन काका का भी जिक्र है, जो दादी के भतीजे हैं और जब भी उनकी नौकरी छूटती है, वह दादी के पास आ जाते हैं। केन काका भी खाने के बहुत शौकीन हैं, लेकिन कभी-कभी उनकी बातों से नेहल नाराज हो जाता है। दादी की रसोई में तंदूरी बतख जैसे विशेष व्यंजन बनते हैं, और केन काका इसको खाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इस पाठ में नेहल और मोहन नामक लड़के के बीच की दोस्ती, खेल, और दादी के पकवानों का आनंद लेने के कारण उनके जीवन के छोटे-छोटे सुखद क्षणों का वर्णन किया गया है। दादी की स्नेहिलता और खाना पकाने की कला ने नेहल के बचपन को खास बना दिया है, और पाठ में परिवार, दोस्ती, और स्वादिष्ट खाना साझा करने की खुशी की भावना को उजागर किया गया है।


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