प्राचीन भारत के वैज्ञानिक कर्णधार | Prachin Bharat ke Vaigyanik karnadhar

- श्रेणी: भारत / India विज्ञान / Science
- लेखक: स्वमती-सत्यप्रकाश-सरस्वती - Satyaprakash Saraswati
- पृष्ठ : 647
- साइज: 35 MB
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दो शब्द :
यह पाठ "प्राचीन भारत के वैज्ञानिक कणध्यार" पर आधारित है, जिसमें भारतीय ज्ञान-विज्ञान की समृद्ध परंपरा का वर्णन किया गया है। लेखक ने बताया है कि भारत में वैदिक काल से ही ज्ञान और विज्ञान का विकास हुआ, जहाँ ऋषियों ने शास्त्रों और विज्ञानों की नींव रखी। विशेष रूप से अग्नि का उपयोग और उसके आविष्कार की चर्चा की गई है, जिसे ऋषि अथर्वा ने किया था। लेखक ने यह भी बताया कि भारतीय विद्वानों ने प्राचीन भारतीय साहित्य का अध्ययन किया और इसे यूरोपीय भाषाओं में अनुवादित किया, जिससे पश्चिमी जगत में भारतीय संस्कृति की समझ विकसित हुई। ग्रंथ में विभिन्न वैज्ञानिकों और उनके योगदानों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि सुश्रुत, जिन्होंने चिकित्सा में महत्वपूर्ण कार्य किए, और बोधायन, जो ज्यामिति के पहले ज्ञाता माने जाते हैं। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि शिक्षा मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों का अनुवाद करवाया और साहित्यिक योगदान को मान्यता दी। अंततः, यह ग्रंथ प्राचीन भारतीय विज्ञान और संस्कृति की समृद्धि को उजागर करता है और पाठकों को भारतीय ज्ञान की गहरी जड़ों से परिचित कराता है। लेखक ने अपने पूर्वजों और विद्वानों का आभार व्यक्त करते हुए यह संकलन प्रस्तुत किया है, जिसमें प्राचीन भारतीय विज्ञान का समृद्ध इतिहास और उसके विकास की कहानी सुनाई गई है।
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