भारतीय सिक्के | Bhartiya Sikke

By: वासुदेव उपाध्याय - Vasudev Upadhyay
भारतीय सिक्के | Bhartiya Sikke by


दो शब्द :

इस पाठ में भारतीय इतिहास, विशेषकर सिक्कों और मुद्रा विज्ञान के अध्ययन पर चर्चा की गई है। लेखक ने बताया है कि भारतीय साहित्य के विभिन्न रूपों के बावजूद प्राचीन इतिहास का लेखन प्रभावी ढंग से नहीं हुआ है। पुरातत्व और साहित्यिक सामग्री के माध्यम से इतिहास को समझने का प्रयास किया गया है। मुद्राशास्त्र, जो पुरातत्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, को ऐतिहासिक जानकारी के स्रोत के रूप में देखा गया है। लेखक ने उल्लेख किया है कि सिक्के केवल आर्थिक स्थिति का प्रतिबिंब नहीं हैं, बल्कि वे राजनीतिक और धार्मिक विचारधाराओं का भी संकेत देते हैं। प्राचीन भारतीय सिक्के विभिन्न भाषाओं और देशों के इतिहास से जुड़े हुए हैं। सिक्कों के अध्ययन के माध्यम से न केवल उनकी निर्माण प्रक्रिया बल्कि उनके आकार, तौल और धातु के प्रकारों का भी वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ में प्राचीन भारतीय सिक्कों के विकास, उनके निर्माण की विधि, और विभिन्न राजवंशों के सिक्कों का उल्लेख है। लेखक ने यह भी बताया है कि मुस्लिम शासकों द्वारा अपनाए गए सिक्कों का अध्ययन करते समय उनके हिन्दू सिक्कों से प्रभावित होने का भी प्रमाण मिलता है। इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को यह समझाना है कि सिक्कों के अध्ययन से लुप्त इतिहास को उजागर किया जा सकता है। ग्रंथ का लेखन सरल और व्यापक शैली में किया गया है ताकि सामान्य पाठक भी इसे समझ सके। अंत में, लेखक ने विभिन्न संग्रहालयों और विद्वानों का आभार व्यक्त किया है, जिन्होंने पुस्तक के निर्माण में सहायता की।


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