प्रसाद रचना संचयन | Prasad Rachana Sanchayan

- श्रेणी: काव्य / Poetry साहित्य / Literature
- लेखक: विष्णु प्रभाकर - Vishnu Prabhakar
- पृष्ठ : 586
- साइज: 32 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में राजा शुद्धोदन के दरबार का दृश्य प्रस्तुत किया गया है, जिसमें तीन भविष्यवक्ता भगवान बुद्ध की माँ, रानी माया के स्वप्न की व्याख्या कर रहे हैं। यह दृश्य भारतीय लेखन-कला के प्राचीनतम चित्रलिखित अभिलेखों में से एक माना जाता है। पाठ में कवि ने जीवन, सुख-दुख, और मानवता के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार किया है। कविता में प्रकृति की सुंदरता और मानव के अंतर्मन की जटिलताओं का चित्रण किया गया है। रानी माया की उदासी और उसकी चिंताओं को दर्शाते हुए, कवि ने जीवन की अनिश्चितताओं और संघर्षों का उल्लेख किया है। रानी माया अपने जीवन की गहराइयों में खोई हुई हैं, और उसके मन में अनेक प्रश्न उठते हैं। कविता में वर्णित दृश्य और भावनाएँ न केवल रानी के व्यक्तिगत संघर्ष का प्रतीक हैं, बल्कि यह मानवता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों और जीवन के सत्य को भी उजागर करते हैं। कवि ने जीवन के सुख-दुख के अनिवार्य चक्र को समझाया है और यह भी बताया है कि कैसे व्यक्ति अपने भीतर की शक्ति को पहचान सकता है। इस प्रकार, पाठ में एक गहरी दार्शनिकता का समावेश है, जो मानवता की स्थिति, अस्तित्व और कला की महत्ता को दर्शाता है।
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