ग्रामीण समाजशास्त्र | Rural Sociology

- श्रेणी: अन्य / other
- लेखक: प्रो-रामेश्वरलाल - Prof Rameshwar Lal
- पृष्ठ : 625
- साइज: 50 MB
- वर्ष: 1962
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दो शब्द :
इस पाठ में "अमाण समाजगशास्त्र" नामक पुस्तक का परिचय दिया गया है, जिसे प्रो. रामेश्वरलाल रायपुरिया और द्वारका दास गोयल ने लिखा है। पुस्तक का उद्देश्य ग्रामीण समाजशास्त्र के अध्ययन को बढ़ावा देना है और यह भारतीय संदर्भ में ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवेचन करती है। लेखक बताते हैं कि भारत में समाजशास्त्र का विकास हो रहा है और ग्रामीण समाजशास्त्र पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। इस पुस्तक को तीन खंडों में विभाजित किया गया है, जिसमें ग्रामीण समाजशास्त्र, प्राचीन सामाजिक संगठन, और ग्रामीण पुनर्निर्माण पर चर्चा की गई है। कुल 33 अध्यायों में ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें ग्रामीण समाज की प्रकृति, उसके संगठन, शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक संस्थान, राजनीतिक संस्थान, और सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण किया गया है। पुस्तक का उद्देश्य समाजशास्त्र के विद्यार्थियों, शिक्षकों, और ग्रामीण विकास में संलग्न कार्यकर्ताओं के लिए उपयोगी सामग्री प्रदान करना है। लेखक ने पुस्तक में विभिन्न विद्वानों और संस्थानों का सहयोग स्वीकार किया है और आशा व्यक्त की है कि यह रचना ग्रामीण समाज के अध्ययन में नई रुचि उत्पन्न कर सकेगी। पाठक को उपादेयता बढ़ाने के लिए सुझाव देने की भी अपील की गई है।
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