हिंदी कहानी: उद्भव और विकास | Hindi kahani: udbhav aur Vikas

- श्रेणी: साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: सुरेश सिन्हा - Suresh Sinha
- पृष्ठ : 647
- साइज: 64 MB
- वर्ष: 1967
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में हिन्दी कहानी के विकास, विशेषताओं और उसकी सामाजिक भूमिका पर चर्चा की गई है। लेखक डॉ. सुरेश सिनहा ने कहानी को मानव जीवन की जटिलताओं और संवेदनाओं का प्रस्तुतीकरण माना है। वे यह बताते हैं कि कहानी यथार्थ को चित्रित करने का एक सशक्त माध्यम है और यह न केवल संघर्षों को उजागर करती है, बल्कि मानवता के सकारात्मक पहलुओं को भी दर्शाती है। लेखक ने यह भी कहा है कि कहानी का संबंध जीवन के यथार्थ से होता है और यह किसी आदर्श या यूटोपिया का निर्माण नहीं करती। इसके माध्यम से मनुष्य की जिजीविषा और उसकी भावनाओं का गहरा चित्रण होता है। कहानी न केवल समाज के पुराने मूल्यों की खोज करती है, बल्कि नए मूल्यों की स्थापना की ओर भी अग्रसर होती है। सिन्हा ने विभिन्न विद्वानों द्वारा कहानी की परिभाषाओं का उल्लेख करते हुए बताया है कि कहानी का आकार आमतौर पर सीमित होता है, जिससे इसे आसानी से पढ़ा जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कहानी और उपन्यास में भले ही कुछ समानताएँ हों, परंतु दोनों के शिल्प और उद्देश्य में महत्वपूर्ण अंतर है। उपन्यास में जीवन के विभिन्न पहलुओं का व्यापक चित्रण होता है, जबकि कहानी किसी एक घटना या पात्र पर केंद्रित होती है। अंत में, लेखक ने हिन्दी कहानी के विभिन्न प्रवृत्तियों का विवेचन करते हुए यह सुझाव दिया है कि कहानी सामाजिक यथार्थ को समझने और व्यक्त करने का एक अद्वितीय साधन है, जो वर्तमान युग की आवश्यकताओं को पूरा करती है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.