पाश्चात्य राजनीतिक विचारों का इतिहास (प्लेटो से मार्क्स) | History of Western Political thoughts ( From Plato to Marx)

- श्रेणी: Freedom and Politics | आज़ादी और राजनीति इतिहास / History
- लेखक: प्रभुदत्त शर्मा - Prabhudutt Sharma
- पृष्ठ : 904
- साइज: 20 MB
- वर्ष: 1962
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दो शब्द :
प्लेटो के राजनीतिक विचारों का विकास उसके ग्रंथों 'रिपब्लिक' और 'स्टेट्समेन' में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। 'रिपब्लिक' में आदर्श राज्य का वर्णन किया गया है, जबकि 'स्टेट्समेन' में कानून के आधार पर शासन की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। प्लेटो का विचार है कि एक योग्य व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों का शासन हमेशा जनता की इच्छाओं के अनुसार नहीं हो सकता। 'स्टेट्समेन' में प्लेटो ने अनुभवों के आधार पर अपने विचारों को प्रस्तुत किया है, जिसमें कानून का महत्व स्वीकार किया गया है। 'लॉज' प्लेटो का अंतिम ग्रंथ है, जिसमें उसने राजनीतिक वास्तविकताओं का सामना किया है। इसमें राज्य के संविधान, राजनीतिक संगठन और मिश्रित राज्य के सिद्धांतों पर चर्चा की गई है। प्लेटो ने इस ग्रंथ में एक ऐसे कानूनी राज्य की कल्पना की है, जिसमें कानून की प्रभुता होगी, लेकिन शासन ज्ञान और दर्शन के आधार पर संचालित होगा। 'लॉज' में प्लेटो ने यह स्वीकार किया है कि आदर्श शासन का होना असंभव है और वास्तविकता के आधार पर ही राज्य की संरचना की जानी चाहिए। इसके अंतर्गत आत्म-नियंत्रण और न्याय की व्यवस्था की आवश्यकता बताई गई है, जिससे समाज में विवेक और न्याय स्थापित हो सके। इस तरह, प्लेटो के विचारों में समय के साथ परिवर्तन आया है। 'रिपब्लिक' का आदर्श दृष्टिकोण अब 'लॉज' में व्यावहारिकता की ओर बढ़ा है, जहाँ उसने कानून को सर्वोच्च स्थान दिया है। प्लेटो का यह मानना है कि एक संगठित और न्यायपूर्ण समाज के लिए दार्शनिकों और कानून का समन्वय आवश्यक है। इस प्रकार, प्लेटो के राजनीतिक सिद्धांतों का यह विकास उनके विचारों के गहन अध्ययन और वास्तविकता के प्रति उनकी जागरूकता को दर्शाता है।
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