भारतीय मूर्तिकला | Bhartiya Murtikala

- श्रेणी: Art and Architecture | कला और वास्तुकला भारत / India
- लेखक: राय कृष्णदास - Rai Krishnadas
- पृष्ठ : 190
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1921
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दो शब्द :
यह पाठ भारतीय मूर्तिकला पर केंद्रित है और इसमें विशेष रूप से बुदेलखंड के महाराज वीरसिंहदेव की भूमिका को रेखांकित किया गया है। उन्होंने ओरछा नगर की स्थापना की और वहां भव्य भवन तथा मंदिरों का निर्माण किया। पाठ में यह भी बताया गया है कि हिंदी कविता के विकास में आचार्य केशवदास का योगदान महत्वपूर्ण था। महाराज वीरसिंहदेव ने 1660 ई. में काशी में द्विवेदी-अभिनंदन उत्सव के दौरान एक पुरस्कार की घोषणा की, जिसे "देव पुरस्कार" नामित किया गया। इस पुरस्कार का उद्देश्य हिंदी साहित्य में उत्कृष्ट काव्य रचनाओं को मान्यता देना है। पाठ में पुरस्कार के इतिहास और विभिन्न वर्षों में प्राप्त कृतियों का उल्लेख है, जिसमें विभिन्न रचनाकारों के नाम और उनके कार्य शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, पाठ में भारतीय मूर्तिकला के अध्ययन का महत्व और इसकी व्यापकता के बारे में चर्चा की गई है। लेखकों और ग्रंथों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, यह भी बताया गया है कि यह पुस्तक भारतीय मूर्तिकला की ऐतिहासिक और तात्त्विक व्याख्या करने का प्रयास करती है। पुस्तक में मूर्तिकला की परिभाषा, विभिन्न कालों का विवरण, और मूर्तियों के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है, जिससे पाठकों को भारतीय मूर्तिकला के विविध पहलुओं की जानकारी प्राप्त होती है। अंत में, पाठ में विभिन्न चित्र-फलक और उनके स्रोतों का उल्लेख भी किया गया है।
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