वैदिक व्याकरण | Vaidik Vyakaran

- श्रेणी: Grammar/व्याकरण धार्मिक / Religious वेद /ved
- लेखक: सत्यव्रत शास्त्री - Satyavrat Shastri
- पृष्ठ : 758
- साइज: 25 MB
- वर्ष: 1971
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दो शब्द :
इस पाठ में वाणिज्यिक व्याकरण पर आधारित एक पुस्तक के प्रकाशन और उसके महत्व के बारे में चर्चा की गई है। लेख में बताया गया है कि भारत में संस्कृत और वाणिज्यिक भाषा के अध्ययन के लिए उच्च गुणवत्ता की किताबों की आवश्यकता है। केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक वाणिज्यिक व्याकरण को सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत करती है, जिससे छात्रों को प्राचीन और आधुनिक भाषाओं के अध्ययन में मदद मिलेगी। लेखक ने संस्कृत व्याकरण के अध्ययन में विधिवत रूप से वाणिज्यिक व्याकरण के संदर्भों को शामिल किया है, जिससे छात्रों को एक बेहतर तुलना करने का अवसर मिलता है। यह पुस्तक विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है जो संस्कृत के अध्ययन में रुचि रखते हैं और इसे एक सुसंगत तरीके से सीखना चाहते हैं। इस ग्रंथ में विभिन्न वेदों के व्याकरणिक प्रयोगों को स्पष्ट किया गया है और उपयुक्त संदर्भों का उपयोग किया गया है। लेखक ने यह सुनिश्चित किया है कि पुस्तक का अनुवाद सरल और सटीक हो, ताकि पाठक आसानी से समझ सकें। इसके अतिरिक्त, पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि वाणिज्यिक व्याकरण की शिक्षा में एक संक्षिप्त लेकिन संपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है, जिससे छात्र आसानी से सीख सकें। लेखक ने कहा है कि छात्रों को वाणिज्यिक व्याकरण के अध्ययन से पहले आधुनिक संस्कृत का ज्ञान होना चाहिए, ताकि वे वाणिज्यिक व्याकरण को बेहतर तरीके से समझ सकें। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक का उद्देश्य है कि हिंदी पाठक ज्ञान-विज्ञान से संबंधित अधिक सामग्री तक पहुँच सकें और वेदों के अध्ययन में भी उनकी रुचि बढ़े।
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