अकबरी दरबार पहला भाग | Akbari Darbar bhag -1

By: रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma
अकबरी दरबार पहला भाग  | Akbari Darbar bhag -1 by


दो शब्द :

इस पाठ का मुख्य उद्देश्य स्वर्गीय शम्पुल्यक्मा मौछाना मुहम्मद हुसेन साहव द्वारा रचित "दरबारे-भ्रकवरी" नामक ग्रंथ का हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत करना है। अनुवादक ने पाठकों से निवेदन किया है कि वे अनुवाद के पहले भाग को पढ़ें और पूर्ण अनुवाद प्रकाशित होने पर अपने विचार साझा करेंगे। यह ग्रंथ ऐतिहासिक और साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जिसमें कई विषयों पर चर्चा की गई है, जिनमें कुछ विवादास्पद मुद्दे भी शामिल हैं। इस ग्रंथ में भारत के विभिन्न राजाओं और उनकी शासकीय गतिविधियों का उल्लेख किया गया है। विशेष रूप से राजा भो भजीतपतिएनी का उल्लेख किया गया है, जो गणित और दर्शन में रुचि रखते थे। उनके दरबार में स्वामी विवेक्षानंद का आना-जाना लगा रहता था। इसके अलावा, राजा के परिवार और उनकी संतानों के बारे में जानकारी दी गई है, जैसे कि रानी सूरथकुवर, जो शिक्षित और प्रतिभाशाली थीं। ग्रंथ की विशेषताओं में विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और व्यक्तित्वों का विवरण शामिल है, जैसे हुमायूँ का जीवन, उनकी प्रेम कहानी, और साम्राज्य की राजनीतिक स्थिति। पाठ में हुमायूँ के विवाह और उसके बाद की कठिनाइयों का भी उल्लेख है, जिसमें उनकी पत्नी हमीदा बानो बेगम के प्रति उनका प्रेम भी दर्शाया गया है। इस ग्रंथ के माध्यम से पाठक उस काल के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश को समझते हैं और साथ ही इसमें विद्यमान साहित्यिक गुणों का भी अनुभव करते हैं। अनुवादक ने पाठकों से अपेक्षा की है कि वे इस कार्य को सराहेंगे और आगे के भागों की प्रतीक्षा करेंगे।


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