रेशमी टाई | Reshami Tai

- श्रेणी: नाटक/ Drama साहित्य / Literature
- लेखक: रामकुमार वर्मा - Ramkumar Varma
- पृष्ठ : 230
- साइज: 5 MB
- वर्ष: 1941
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दो शब्द :
इस पाठ में नाटककार की भूमिका और उनके कार्य के महत्व पर चर्चा की गई है। नाटककार को जीवन की जटिलताओं और मानवीय भावनाओं का गहरा ज्ञान होना चाहिए, जो उन्हें अपने अनुभवों के माध्यम से मिलता है। जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए नाटककार को वर्षों का अनुभव आवश्यक है, जिससे वह मानव मन के गहरे रहस्यों को उजागर कर सके। पाठ में यह भी कहा गया है कि नाटककार को समाज की वास्तविकताओं को सही तरीके से चित्रित करना चाहिए। वह घटनाओं को इस तरह प्रस्तुत करें कि दर्शकों में सहानुभूति उत्पन्न हो सके। जीवन की घटनाएँ निरंतर चलती रहती हैं और नाटककार को इन्हें सजीव दृष्टि से देखना और समझना होता है। नाटककार की कला केवल घटनाओं का वर्णन करने में नहीं, बल्कि पात्रों के मनोविज्ञान को समझने और उसे दर्शाने में है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई लेखक, विशेषकर रूस के, ने जीवन की वास्तविकता को बिना किसी सजावट के प्रस्तुत किया है, जिससे उनकी रचनाएँ अधिक प्रभावशाली बन गई हैं। आधुनिक नाटककारों को यह समझना चाहिए कि उन्हें वास्तविकता का चित्रण करते समय कला का सहारा लेना पड़ता है। यदि वे जीवन की साधारण घटनाओं को भी रोचकता के साथ प्रस्तुत करें, तो वे दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। अंततः, पाठ का सार यह है कि नाटककार को जीवन की गहराइयों में झांकते हुए, अपने अनुभवों के माध्यम से एक सजीव और प्रभावशाली नाटकीय रचना करनी चाहिए।
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