भारतीय दर्शन -शास्त्र | Bhartiya Darshan- Shastra

By: धर्मेन्द्रनाथ शास्त्री - Dharmendranath Shastri


दो शब्द :

इस पाठ में भारतीय दर्शनशास्त्र, विशेषकर न्याय-वैशेषिक शास्त्र का परिचय दिया गया है। लेखक धर्मेन्द्रनाथ शास्त्री ने इस विषय पर एम. ए. के छात्रों के लिए एक पुस्तक की आवश्यकता को महसूस किया और न्याय-सिद्धान्तमुक्तावली की विस्तृत व्याख्या करने का निर्णय लिया। न्याय-वेशोषिक शास्त्र की जटिलता और उसकी प्राचीनता को ध्यान में रखते हुए, इसे समझाने के लिए एक सुलभ भाषा में हिंदी में लिखा गया है। लेखक ने बताया है कि न्याय-वेशोषिक शास्त्र भारतीय दर्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे समझने के लिए पूरे भारतीय दार्शनिक परंपरा का अवलोकन आवश्यक है। पुस्तक में न्याय-वेशोषिक के सिद्धांत और उनके इतिहास का आलोचनात्मक विवेचन भी शामिल किया गया है। यह ग्रंथ न केवल न्याय-वेशोषिक का अध्ययन करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय दर्शन के अन्य सम्प्रदायों की तुलना में भी उपयोगी सिद्ध होगा। लेखक ने इस पुस्तक को लेनिनग्रेड विश्वविद्यालय के दिवंगत प्रोफेसर इचेरबात्स्की को समर्पित किया है, जिन्होंने न्याय-वेशोषिक पर महत्वपूर्ण कार्य किया था। उन्होंने इस विषय पर कई विद्वानों का उल्लेख किया है जिन्होंने उनके अध्ययन में सहयोग किया। अंत में, पाठक को पुस्तक के उपयोग के लिए एक विस्तृत नामानुक्रमणी प्रदान की गई है, जिससे वे विभिन्न दार्शनिक ग्रंथों और उनके विषयों की जानकारी प्राप्त कर सकें। इस प्रकार, यह पाठ भारतीय दर्शनशास्त्र, विशेषकर न्याय-वैशेषिक शास्त्र की महत्वपूर्ण जानकारी और उसके अध्ययन के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।


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