सतसई-सप्तक | Satsai - Saptak

By: श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
सतसई-सप्तक | Satsai - Saptak by


दो शब्द :

इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: सतसई-सप्तक एक महत्वपूर्ण काव्य संग्रह है जिसमें तुलसी, बिहारी, मतिराम, रसनिधि, रामसहाय, इंद और विक्रम की सतसइयों को शामिल किया गया है। इस संग्रह का संपादन श्यामसुदरदास ने किया है, जिसमें हिंदी की प्रसिद्ध सतसइयों को एकत्रित किया गया है। प्रारंभ में, श्यामसुदरदास ने सतसई-पंचक नाम से संग्रह की योजना बनाई, लेकिन बाद में रसनिधि की प्रसिद्धि को देखते हुए 700 दोहे चुनकर एक सतसई प्रस्तुत करने का विचार किया। इस संग्रह में रचनाओं की विविधता है, जिन्हें प्रबंध और मुक्तक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रबंध काव्य एक सुसंगठित रचना होती है, जबकि मुक्तक स्वतंत्र और पूर्ण होती है। मुक्तक में रस की अभिव्यक्ति के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता होती है। संग्रह में शामिल रचनाओं की संख्या सात सौ रखने की परंपरा भी महत्वपूर्ण है, जिसका संबंध प्राचीन संस्कृत और प्राकृत ग्रंथों से है। हिंदी में भी कई कवियों ने इस संख्या का अनुसरण किया है। इस संग्रह में सूक्ति-सतसइयाँ और रंगार-सतसइयाँ दोनों प्रकार की रचनाएँ शामिल हैं, जो समाजिक, नैतिक, धार्मिक और पारमार्थिक विषयों को दर्शाती हैं। सूक्तिकार सामान्य अनुभूतियों को विशेष शैली में प्रस्तुत करते हैं, जिससे पाठक या श्रोता पर प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, सतसई-सप्तक हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो काव्य की विभिन्न शैलियों और रचनात्मकता का परिचय देता है।


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