दृष्टान्त सागर प्रथम भाग | Drishtant Sagar Bhag - 1

- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता धार्मिक / Religious
- लेखक: हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar
- पृष्ठ : 324
- साइज: 162 MB
- वर्ष: 1925
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दो शब्द :
इस पाठ में विभिन्न विषयों का उल्लेख किया गया है, जिसमें धार्मिकता, नैतिकता, और मानव व्यवहार पर विचार किया गया है। पाठ में यह बताया गया है कि जीवन में सत्य और अहिंसा का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। अतिथि-सत्कार, मांस-भक्षण, और पाप-पुण्य जैसे विषयों पर चर्चा की गई है। एक कहानी के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि किस प्रकार एक अपराधी अपने कर्मों के परिणामों का सामना करता है। पाठ में यह भी बताया गया है कि कठिनाइयों का सामना करने में धैर्य और साहस का होना आवश्यक है। महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का भी उल्लेख किया गया है, जहाँ वे गालियों का सामना कर बिना प्रतिक्रिया दिए धैर्य का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। अंत में, यह पाठ यह संदेश देता है कि हमें अपने स्वभाव को सुधारने और अच्छे कर्म करने की प्रेरणा लेनी चाहिए, क्योंकि एक सच्चा और दयालु व्यक्ति ही समाज में बदलाव ला सकता है।
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