प्राचीन भारत की संस्कृति और सभ्यता एक ऐतिहासिक रूपरेखा | Prachin Bharat Ki Sanskrati Aur Sabhyata Ek Aitihasik Rooprekha

- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति इतिहास / History भारत / India
- लेखक: दामोदर धर्मानंद कोसांबी - Damodar Dharmananda Kosambi
- पृष्ठ : 398
- साइज: 9 MB
- वर्ष: 1963
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दो शब्द :
पुस्तक "प्राचीन भारत की संस्कृति और सभ्यता" में दामोदर धर्मानंद कोसंबी ने भारतीय इतिहास के विविध पहलुओं का विवेचन किया है। उन्होंने भारतीय समाज की जटिलता और विविधता को दर्शाया है, जिसमें विभिन्न जातियों, भाषाओं, सांस्कृतिक परंपराओं और भौगोलिक विशेषताओं का समावेश है। भारत की एकता और विविधता का यह द्वंद्व इसे अद्वितीय बनाता है। लेखक ने भारतीय इतिहास को समझने में आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख किया है, जिसमें अनिश्चित तिथियों और संदिग्ध जीवनियों का जिक्र है। वे यह भी बताते हैं कि भारतीय चुनावों और घटनाओं को समझने के लिए अधिक सटीक स्रोतों की आवश्यकता है। पुस्तक में भारतीय इतिहास की प्रमुख धाराओं को समझने का प्रयास किया गया है, जो बिना किसी पूर्वाग्रह के किया गया है। कोसंबी ने भारतीय ग्रामीण और कबीलाई समाज का भी अध्ययन किया है, और यह बताया है कि किस प्रकार प्राचीन भारत में सामाजिक ढांचे का विकास हुआ। उन्होंने प्रागैतिहासिक मानव, सिंधु सभ्यता, आर्य संस्कृति, और बाद के काल में बौद्ध धर्म के विकास का भी उल्लेख किया है। पुस्तक में भारतीय सभ्यता के विभिन्न चरणों, जैसे स्वर्ण युग, नगरों की पुनरुत्थान, और साम्राज्य के विकास की चर्चा की गई है। लेखक ने यह भी बताया है कि भारतीय साहित्य, नाटक, और कला का विकास किस प्रकार हुआ है, और यह कैसे समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। अंत में, कोसंबी ने यह स्पष्ट किया है कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता की सम्पूर्णता को समझने के लिए इसके विविध पहलुओं का गहन अध्ययन आवश्यक है। उनकी यह पुस्तक भारतीय इतिहास के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करती है।
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