मालवी लोकगीत एक विवेचनात्मक अध्ययन | Maalvi Lokgeet Ek Vivechnatmak Adhyyan

- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति भाषा / Language साहित्य / Literature
- लेखक: चिंतामणि उपाध्याय - Chintamani Upadhyay
- पृष्ठ : 440
- साइज: 40 MB
- वर्ष: 1964
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: पुस्तक "मालवीं लोकगीत" का उद्देश्य मालवी लोकगीतों का विस्तृत विश्लेषण करना है। लेखक ने मौखिक परंपरा से प्राप्त लोकगीतों को संकलित किया है और उनका अध्ययन किया है। इस ग्रंथ में विभिन्न प्रकार के गीतों का समावेश किया गया है, जैसे कि बच्चों के गीत, महिलाओं के गीत, विवाह गीत, और देवी-देवताओं से संबंधित गीत। लेखक का मानना है कि लोकगीतों का विषय अनंत है और जितना भी संग्रह किया जाए, वह अधूरा लगता है। फिर भी, उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों के साथ लोकगीतों का संकलन करने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में चार अध्याय हैं, जिनमें बालकों, स्त्रियों और पुरुषों के गीतों का विस्तृत विवेचन किया गया है। लोकगीतों के अध्ययन के लिए विभिन्न शास्त्रीय दृष्टिकोणों का उपयोग किया गया है, जिसमें समाजशास्त्र, नृविज्ञान, और भाषा विज्ञान शामिल हैं। लेखक ने लोकगीतों की गहराई से समझने के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग किया है और साथ ही भावनात्मक दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखा है। इस ग्रंथ के माध्यम से भारतीय लोकजीवन में लोकगीतों के महत्व को उजागर किया गया है। लेखक ने अपने शोध में कई विद्वानों के विचारों का संदर्भ लिया है और उनके योगदान को स्वीकार किया है। अंत में, लेखक ने इस प्रयास को लोकसाहित्य और लोकगीतों के अध्ययन में एक मौलिक कदम बताया है और इसे आगे बढ़ाने की आशा व्यक्त की है। सारांश में यह भी उल्लेख है कि लेखक ने अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है उन लोगों के प्रति जिन्होंने उन्हें मार्गदर्शन दिया और इस पुस्तक के प्रकाशन में सहायता की।
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