राजपूताने का इतिहास भाग -१ | The History of Rajputana vol.1

- श्रेणी: इतिहास / History
- लेखक: महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha
- पृष्ठ : 496
- साइज: 21 MB
- वर्ष: 1937
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दो शब्द :
राजपूतों का इतिहास एक महत्वपूर्ण विषय है, जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस पाठ में इतिहास के महत्व और उसकी उपयोगिता पर चर्चा की गई है। इतिहास केवल अतीत की घटनाओं का संग्रह नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए एक सच्चा शिक्षक है, जो हमें हमारे अतीत से सीखने और भविष्य की दिशा निर्धारित करने में मदद करता है। इतिहास के माध्यम से हम यह जान पाते हैं कि किसी जाति या राष्ट्र का उत्थान और पतन किन कारणों से हुआ। यह हमें सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक पहलुओं को समझने में मदद करता है। इतिहास से हम यह भी समझ सकते हैं कि कैसे एक राष्ट्र की पहचान और एकता बनी रहती है, और कैसे बाहरी आक्रमणों और आंतरिक संघर्षों ने उसकी स्थिति को प्रभावित किया। भारत के इतिहास में विभिन्न राजवंशों का उदय और पतन होता रहा है। यहाँ की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन करने के लिए खुदाई के माध्यम से कई महत्वपूर्ण तथ्यों का पता चलता है। प्राचीन नगरों की खोज से ज्ञात हुआ है कि भारत में एक समय में अत्यधिक विकसित नगर और सभ्यताएँ थीं। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत का इतिहास विभिन्न आक्रमणों से प्रभावित हुआ है, जिससे अनेक प्राचीन ग्रंथ और दस्तावेज़ नष्ट हो गए। इस कारण से भारतीय इतिहास का एक बड़ा हिस्सा खो गया है। इस प्रकार, राजपूतों का इतिहास और भारतीय इतिहास का अध्ययन आवश्यक है, ताकि हम अपनी जड़ों को समझ सकें और भविष्य में आगे बढ़ने के लिए सही दिशा निर्धारित कर सकें। इतिहास के प्रति जागरूकता और अध्ययन से ही हम अपने सामूहिक गौरव को पहचान सकते हैं और उसे सुरक्षित रख सकते हैं।
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