जब अंग्रेज नही आये थे ! | Jab Angrej Nahi Aaye The !

- श्रेणी: इतिहास / History भारत / India
- लेखक: शिवचरन लाल शर्मा - Shivcharan Lal Sharma
- पृष्ठ : 98
- साइज: 3 MB
- वर्ष: 1888
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दो शब्द :
इस पाठ में भारतीय रेलवे द्वारा घरेलू उद्योगों पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। लेखक ने विभिन्न स्थानों के बीच माल ढुलाई के किराए के अंतर को उजागर किया है, जहां मुंबई, करांची और कलकत्ता जैसे बंदरगाहों से माल भेजने का किराया अन्य स्थानों की तुलना में बहुत कम है। इस कारण कच्चे माल की आपूर्ति में भी इन शहरों का वर्चस्व है, जिससे अन्य इलाकों के उद्योगों को हानि उठानी पड़ती है। लेखक ने यह भी बताया है कि कैसे विदेशी माल पर कोई ड्यूटी नहीं होती, जबकि देशी माल पर भारी ड्यूटी लगती है, जिससे देशी उत्पाद विदेशी उत्पादों की तुलना में महंगे हो जाते हैं। उन्होंने मुद्रा के मूल्य में वृद्धि को भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया है, जिससे आम आदमी को अधिक हानि हुई है। इस वृद्धि के कारण गरीब लोग अपनी वस्तुओं को बेचकर बाजार में कम मूल्य प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा, लेखक ने भारतीय इतिहास के अध्ययन को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले इतिहास की पुस्तकों में हिंदू-मुस्लिम antagonism को बढ़ावा देने वाली बातें भरी हुई हैं, जिससे युवाओं के मन में एक-दूसरे के प्रति नफरत बढ़ती है। लेखक ने यह भी कहा कि राजाओं के अत्याचारों का वर्णन करने वाले इतिहासकारों ने अंग्रेजों के समय में हुए अत्याचारों को छिपाया है। इस प्रकार, पाठ में भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज में होने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ इतिहास के प्रति एक आलोचनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे राजनीतिक और आर्थिक नीतियां समाज पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
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