मृच्छकटिकम | Mrichchhakatikam

- श्रेणी: नाटक/ Drama संस्कृत /sanskrit
- लेखक: जयशंकर लाल त्रिपाठी - Jayshankar Lal Tripathi
- पृष्ठ : 760
- साइज: 88 MB
-
-
Share Now:
दो शब्द :
यह पाठ "महाकविषृद्रक" शीर्षक के एक भाग का वर्णन करता है, जिसमें विभिन्न पात्रों के संवाद और उनकी भावनाओं को दर्शाया गया है। इसमें चारुदत्त नामक एक व्यक्ति की चर्चा है जो अपनी प्रेमिका वसन्तसेना की प्रतीक्षा कर रहा है। संवादों में विदूषक और चेट का भी उल्लेख है, जो चारुदत्त के मित्र हैं और उसकी भावनाओं का समर्थन करते हैं। पाठ में वसंत की आहट और उसके आने की प्रतीक्षा का उल्लेख है, जिससे चारुदत्त के हृदय में उत्साह और प्रेम की भावना जागृत होती है। इसमें प्रकृति के वर्णन के माध्यम से चारुदत्त की मनोदशा को दर्शाया गया है, जैसे वर्षा की बूंदों का पीठ पर गिरना और ठंडी हवा का स्पर्श करना। पूरे संवाद में हास्य और चंचलता का भी समावेश है, जहाँ विदूषक अपने मित्रों के साथ मजेदार बातें करते हैं और चारुदत्त की चिंता और प्रेम के क्षणों को हल्का-फुल्का बनाते हैं। पाठ में भाषा की मिठास और संस्कृत के भावों का सुंदर मिश्रण है, जो इसे रोचक बनाता है। इस प्रकार, यह पाठ प्रेम, मित्रता, और प्रकृति के अनुभवों को एक साथ प्रस्तुत करता है, जिसमें पात्रों के संवादों के माध्यम से जीवन की विविधताओं को दर्शाया गया है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.