अर्धनारीश्वर | Ardhnarishwar

- श्रेणी: निबंध / Essay साहित्य / Literature
- लेखक: रामधारी सिंह 'दिनकर' - Ramdhari Singh Dinkar
- पृष्ठ : 312
- साइज: 21 MB
- वर्ष: 1952
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में कवि दिनकर ने "अधनारीश्वर" के माध्यम से मानवता, युद्ध, और शांति के मुद्दों पर गहराई से विचार किया है। उन्होंने युद्ध के समय में पुरुषों की मर्दानगी और नारी की भूमिका का चित्रण किया है। खड़ग (तलवार) और वीणा (संगीत) के प्रतीकों के माध्यम से उन्होंने दिखाया है कि खड़ग युद्ध और संघर्ष का प्रतीक है, जबकि वीणा शांति, प्रेम और सृजन का प्रतीक है। कवि ने यह बताया है कि युद्ध के समय खड़ग का गर्व और अहंकार बढ़ता है, जबकि वीणा की शांतिपूर्ण और निरीह स्थिति उसकी वास्तविकता को दर्शाती है। खड़ग युद्ध के समय वीणा को चुनौती देता है, जबकि वीणा अपनी मौन स्थिति में गहन चिंतन करती है। पाठ में यह भी चर्चा की गई है कि मन्दिर और राजभवन के बीच का संबंध क्या है। मन्दिर उपासना का स्थान है, जो मनुष्य को आत्म-ज्ञान की ओर ले जाता है, जबकि राजभवन सत्ता और शासन का प्रतीक है, जो लोगों को नियंत्रित करता है। इस प्रकार, पाठ में युद्ध, शांति, मानवता, और सत्ता के बीच के जटिल संबंधों का अन्वेषण किया गया है। कवि ने यह संदेश दिया है कि समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए शांति और सृजन की आवश्यकता है, और यह कि युद्ध केवल विनाश लाता है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.