प्राचीन भारत का ऐतिहासिक भूगोल | Prachin Bharat Ka aitihasik Bhoogol

By: बिमल चरण लाहा - Bimal Charan Laha
प्राचीन भारत का ऐतिहासिक भूगोल  | Prachin Bharat Ka aitihasik Bhoogol by


दो शब्द :

यह पाठ प्राचीन भारत का ऐतिहासिक भूगोल पर आधारित एक पुस्तक का परिचय और उसकी विशेषताएं प्रस्तुत करता है। इस पुस्तक के लेखक डॉ. बिमल चरण लाहा हैं, जिन्होंने प्राचीन भारतीय ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी को पुरानी और आधुनिक स्रोतों से संकलित किया है। पुस्तक में संस्कृत के महाकाव्यों, पुराणों, शिलालेखों, और विदेशी यात्रियों के विवरणों का उपयोग किया गया है। इस कार्य में लेखक ने प्राचीन भौगोलिक नामों का आधुनिक नामों से मिलान करने का प्रयास किया है। पुस्तक की भूमिका में बताया गया है कि भारत सरकार ने शिक्षा संबंधी राष्ट्रीय नीति के अनुसार भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षण की व्यवस्था के लिए पाठ्य पुस्तकों का निर्माण किया है, जिसके तहत यह पुस्तक भी तैयार की गई है। यह पुस्तक विद्वानों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ है और इसे पेरिस की एशियाटिक सोसायटी के तत्वावधान में प्रकाशित किया गया है। लेखक ने अपने अध्ययन में विभिन्न भाषाओं और स्रोतों का उपयोग किया है और इसमें प्राचीन भारत के भूगोल की जानकारी को व्यवस्थित और क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत किया गया है। पाठ में लेखक की कठिनाइयों और शोध के दौरान प्राप्त ज्ञान का उल्लेख किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कार्य शोध और अध्ययन का एक गहन प्रयास है। अंत में, यह उल्लेख किया गया है कि यह पुस्तक प्राचीन भारतीय भूगोल के अध्ययन में सहायक होगी और लेखक ने अपनी मेहनत को सफल मानने की आशा व्यक्त की है।


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