दासबोध | Dasbodh by


दो शब्द :

यह पाठ पं. माधवराव सप्रे द्वारा किए गए मराठी ग्रंथ "दासबोध" के हिंदी अनुवाद का परिचय है। इसमें लेखक ने "दासबोध" के महत्व, उसके विषयों, और इसके अनुवाद की प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन किया है। पं. सप्रे ने उल्लेख किया है कि अनुवाद के दौरान उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, विशेषकर हिंदी प्रकाशकों की उदासीनता के कारण। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत कठिनाइयों का भी उल्लेख किया, जैसे कि नागपुर की केंद्रीय जेल में बिताया गया समय और उसके बाद की मानसिक स्थिति। पाठ में श्रीसमर्थ रामदासस्वामी के जीवन और उनके वंश का भी संक्षेप में वर्णन किया गया है, जिसमें उनके परिवार के सदस्यों की धार्मिक प्रवृत्तियों और भक्ति का उल्लेख किया गया है। लेखक ने अपने सहयोगियों का धन्यवाद किया है, जिन्होंने अनुवाद के काम में उनकी सहायता की। अंत में, पाठ में यह भी कहा गया है कि "दासबोध" केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि आत्मा, समाज और देश के कल्याण के लिए विचार करने और कार्य करने योग्य उपदेशों का संग्रह है। लेखक ने पाठकों को इस ग्रंथ को गंभीरता से पढ़ने और समझने के लिए प्रेरित किया है, ताकि वे आत्मिक और सांसारिक उन्नति कर सकें।


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