क्या, क्यों, कैसे ग्रहो व सितारों का संसार | Kya, Kyun, kaise Graho aur Sitaro ka Sansar

- श्रेणी: विज्ञान / Science साहित्य / Literature
- लेखक: डॉ-द्वारिकानाथ-खोसला - Dr Dvarikanath Khosala
- पृष्ठ : 90
- साइज: 22 MB
- वर्ष: 2001
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दो शब्द :
इस पाठ में डॉ. द्वारिकानाथ खोसला द्वारा लिखित एक पुस्तक का परिचय दिया गया है, जो ग्रहों, सितारों और ब्रह्मांड के विषय में जानकारी प्रदान करती है। लेखक ने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर इसे लिखा है, जिसमें उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक उपलब्धियों और मानवता की जिज्ञासा का वर्णन किया है। पाठ में बताया गया है कि पृथ्वी सहित सौर मंडल का एक हिस्सा है और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न परिकल्पनाएं प्रस्तुत की गई हैं, जैसे 'स्टैडी स्टेट थ्योरी' और 'बिग बैंग थ्योरी'। पुस्तक में आकाशगंगा का भी उल्लेख है, जिसे 'मिल्की वे' के नाम से जाना जाता है, और इसके तारे समूहों का विवरण दिया गया है। आकाशगंगा की संरचना, उसके भीतर के तारों की संख्या, और उनके आकार व दूरी के बारे में जानकारी दी गई है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि आकाशगंगा में सूर्य जैसे सामान्य तारे भी हैं, और यह तारे विभिन्न आकार और रंगों में होते हैं, जो उनके तापमान और सामग्री के बारे में जानकारी देते हैं। इसके अलावा, पाठ में तारों और तारा समूहों के अध्ययन की रोचकता और उनके नामकरण के विभिन्न तरीकों पर भी चर्चा की गई है। वैज्ञानिक यंत्रों के माध्यम से तारों के प्रकाश और उनके रंगों का अध्ययन किया जाता है, जिससे उनकी संरचना और तापमान का अनुमान लगाया जा सकता है। इस प्रकार, यह पुस्तक विज्ञान के छात्रों, शिक्षकों और सामान्य पाठकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करती है।
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