नयी कविता के प्रतिमान | Nayi Kavita ke Pratiman

- श्रेणी: साहित्य / Literature
- लेखक: लक्ष्मीкан्त वर्मा - Lakshmikant Verma
- पृष्ठ : 311
- साइज: 139 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में नयी कविता के विकास और उसके विवेचनात्मक अध्ययन की आवश्यकता पर चर्चा की गई है। लेखक का मानना है कि नयी कविता ने एक नई संवेदना और भावबोध के साथ अभिव्यक्ति पाई है, जो परंपरागत शिल्प और कथ्य से अलग है। समय-समय पर आलोचकों ने नयी कविता के प्रति संदेह प्रकट किया है, लेकिन यह जरूरी है कि वे उसकी गहराई और यथार्थ स्थितियों पर ध्यान दें। नयी कविता कोई आन्दोलन नहीं है, बल्कि यह एक साहित्यिक प्रवृत्ति है जिसमें आज के भावबोध को अधिक सशक्त रूप में अभिव्यक्त किया गया है। लेखक ने यह भी कहा कि नयी कविता में अच्छाइयाँ और बुराइयाँ दोनों होती हैं, और आलोचना का उद्देश्य केवल दोष निकालना नहीं, बल्कि उसकी मूल भावना को समझना होना चाहिए। नयी कविता की संवेदनाएँ आधुनिकता के साथ जुड़ी हुई हैं और यह मानवीय तत्त्वों को प्राथमिकता देती है। इसके द्वारा जीवन के छोटे-छोटे क्षणों और अनुभवों पर जोर दिया गया है, जो पहले महत्त्वहीन समझे जाते थे। लेखक का यह भी कहना है कि नयी कविता की विषय-वस्तु और भाव-स्तर उस सत्य को महत्व देते हैं जो मानवीय है, भले ही वह महान न हो। पाठ के अंत में लेखक ने नयी कविता के माध्यम से व्यक्त की जाने वाली मानवीय संवेदनाओं और विचारों की गहराई को उजागर किया है, जो आज के समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस प्रकार, लेखक ने नयी कविता के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जो वर्तमान समय की आवश्यकताओं और मानवीय संवेदनाओं को सही तौर पर दर्शाता है।
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