नाथ और संत साहित्य | Nath Aur Sant Sahitya

- श्रेणी: साहित्य / Literature
- लेखक: नागेन्द्र नाथ उपाध्याय - Nagendr Nath Upadhyay
- पृष्ठ : 727
- साइज: 239 MB
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दो शब्द :
यह शोध प्रबंध काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित किया गया है, जिसमें लेखक नामेन्द्र नाथ उपाध्याय ने नाथों और संतों के साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन किया है। लेखक ने इस प्रबंध में भक्ति, योग, रहस्यवाद और काव्य के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का प्रयास किया है। उनका मानना है कि नाथों और संतों के साहित्य को प्रेरणा देने वाली परंपरा तांत्रिक है, जिसमें शैव और वैष्णव परंपराओं का योगदान है। लेखक ने यह भी बताया है कि मध्यकाल में नाथ संप्रदाय और संतों की साधनाएँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण थीं। उन्होंने दोनों संप्रदायों के साहित्य और उनके बीच के संबंधों का गहन अध्ययन किया है। इस अनुसंधान में भक्ति और योग के संबंध में भी विचार किया गया है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि नाथों की साधना का उद्देश्य अद्वयता की प्राप्ति है, जबकि पातंजल योग का लक्ष्य आत्मा की कैवल्य स्थिति है। नाथ योग में आत्मा का चरम लक्ष्य अद्वय भाव की प्राप्ति है, जिसमें सदगुरु की कृपा से चित्त का शुद्धिकरण आवश्यक है। लेखक ने कहा है कि नाथों की सिद्धि का मूल तत्व परमपद का साक्षात्कार है, जो पातंजल योग की सिद्धि से भिन्न है। समग्र रूप से, यह शोध प्रबंध नाथों और संतों के साहित्य की गहरी समझ और उनके परस्पर संबंधों को उजागर करता है, जो भारतीय अध्यात्म और साधना के विविध पहलुओं को दर्शाता है।
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