प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएँ | Prachin Bharat Me Rajneetik Vichar Avam Sansthayen

- श्रेणी: Freedom and Politics | आज़ादी और राजनीति भारत / India
- लेखक: रामशरण शर्मा - Ramshran Sharma
- पृष्ठ : 417
- साइज: 9 MB
- वर्ष: 1990
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दो शब्द :
यह पाठ प्राचीन भारत की राजनीतिक विचारधाराओं और संस्थाओं पर केंद्रित है। इसमें यह चर्चा की गई है कि प्राचीन भारत में राजनीतिक विचारों का विकास कैसे हुआ और उनके पीछे जाति, वर्ण, धर्म, और अर्थव्यवस्था की क्या भूमिका थी। लेखक रामशरण शर्मा ने इस पुस्तक में प्राचीन भारतीय राज्यव्यवस्था के विभिन्न चरणों का अध्ययन किया है और बताया है कि कैसे समय के साथ इन विचारों में बदलाव आया। पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य हिंदी में सामाजिक विज्ञान की उच्च स्तरीय पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराना है, ताकि हिंदीभाषी छात्रों को उच्च शिक्षा और शोध में आसानी हो। यह पुस्तक उन मुद्दों पर प्रकाश डालती है जिन पर पहले व्यापक विचार नहीं किया गया था, जैसे कि प्राचीन भारत में राज्य निर्माण की प्रक्रिया, राजनीतिक संस्थाओं का विकास, और विभिन्न कालों में राजनीतिक विचारधाराओं का स्वरूप। लेखक ने विभिन्न महत्वपूर्ण विद्वानों के कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया है कि राजनीतिक विचारों की जड़ें कैसे सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों से जुड़ी हैं। इस पुस्तक में वैदिक काल से लेकर गुप्त काल तक की राजनीतिक संरचनाओं का विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा, पुस्तक में यह भी दर्शाने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार विभिन्न सामाजिक और धार्मिक कारक राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार, यह पुस्तक न केवल प्राचीन भारत की राजनीतिक स्थिति का एक समग्र चित्र प्रदान करती है, बल्कि हिंदी में इस विषय पर विचार-विमर्श को आगे बढ़ाने का भी प्रयास करती है।
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