सखाराम बाइंडर तेंडुलकर | Sakharam Baendar Tendulkar

- श्रेणी: नाटक/ Drama
- लेखक: विजय तेंदुलकर - vijay tendulkar
- पृष्ठ : 174
- साइज: 2 MB
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दो शब्द :
"सखाराम बाइंडर" नाटक का सारांश इस प्रकार है कि यह नाटक विजय तेंडुलकर द्वारा लिखा गया है और इसमें समाज की नैतिकता और मूल्यों पर गहरी चोट की गई है। नाटक में मुख्य पात्र सखाराम, जो एक मजदूर है, अपने जीवन में संघर्ष और अस्तित्व की जद्दोजहद करता है। वह अपने आस-पास की दुनिया की कठोरता और अन्याय का सामना करता है। सखाराम का चरित्र सामाजिक और व्यक्तिगत मूल्यों को चुनौती देता है। वह अपने यौनाचार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बारे में खुलकर बात करता है, जो उस समय के समाज में एक बड़ा मुद्दा था। नाटक में दर्शाए गए पात्र अपने-अपने जीवन में बिखराव और असमानता का सामना करते हैं, और इस प्रक्रिया में वे अपने आंतरिक संघर्षों को उजागर करते हैं। नाटक के माध्यम से तेंडुलकर ने सामाजिक ढांचे की सीमाओं को तोड़ने की कोशिश की है और दर्शकों को उन सामाजिक बंधनों पर विचार करने के लिए मजबूर किया है जो व्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करते हैं। नाटक की भाषा और संवादों में गहराई है, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है। इस नाटक के प्रदर्शन ने कई आलोचकों और दर्शकों को प्रभावित किया है, और इसे भारतीय नाट्य साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह नाटक न केवल एक मनोरंजन का साधन है, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है।
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