संस्कृति के चार अध्याय | Sanskriti ke Char Adhyaya

By: रामधारी सिंह 'दिनकर' - Ramdhari Singh Dinkar
संस्कृति के चार अध्याय  | Sanskriti ke Char Adhyaya by


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक रामधारी सिंह दिनकर ने भारतीय संस्कृति के चार प्रमुख अध्यायों का वर्णन किया है, जो चार महत्वपूर्ण क्रांतियों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। पहले अध्याय में आर्यों और आर्येतर जातियों के मेल से बनी बुनियादी भारतीय संस्कृति का उल्लेख किया गया है। दूसरी क्रांति की चर्चा में महावीर और गौतम बुद्ध के धर्म सुधारों का प्रभाव और उनके परिणामों को बताया गया है। तीसरी क्रांति इस्लाम के आगमन से संबंधित है, जब हिंदुत्व और इस्लाम के बीच संपर्क हुआ। चौथी क्रांति यूरोपीय उपनिवेशवाद के कारण हुई, जिसने दोनों धर्मों को नव-जीवन प्रदान किया। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि भारतीय संस्कृति हमेशा से सामासिक रही है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की सांस्कृतिक विशेषताएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने यह विचार व्यक्त किया है कि हिंदू और मुसलमानों के बीच सांस्कृतिक एकता विद्यमान है, जिसे समझने में हम असमर्थ रहे हैं। लेखक ने यह पुस्तक शिक्षा और साहित्य के माध्यम से इस एकता को उजागर करने के लिए लिखी है, और इसे एक विनम्र प्रयास बताया है। पुस्तक के विभिन्न संस्करणों के संशोधन और सुधार के बारे में भी लेखक ने चर्चा की है, जिसमें नए प्रमाणों और दृष्टिकोणों का समावेश किया गया है। अंत में, उन्होंने यह आशा व्यक्त की है कि पाठक इस पुस्तक से लाभान्वित होंगे और भारतीय संस्कृति की समृद्धि को समझ सकेंगे।


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