चंदायन | Chandayan

- श्रेणी: अन्य / other
- लेखक: डॉ-परमेश्वरीलाल-गुप्त - Dr Parmeshwarilal Gupt
- पृष्ठ : 520
- साइज: 6 MB
- वर्ष: 1964
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दो शब्द :
यह पाठ हिंदी साहित्य के इतिहास और उसके विकास पर केंद्रित है, जिसमें प्रमुख रूप से दाऊद के काव्य "चन्दायन" का उल्लेख किया गया है। पाठ में यह बताया गया है कि दाऊद का काल सन् 1385 के आसपास था और वह खुसरो के समकालीन थे। दाऊद की रचनाएँ, विशेषकर "चन्दायन", प्रेम कथा पर आधारित हैं, जिसमें नूर और चन्याकी का प्रेम वर्णित है। पाठ में विभिन्न विद्वानों द्वारा दाऊद और उनकी रचनाओं के संबंध में दी गई जानकारियों का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि दाऊद की काव्य रचना "चन्दायन" का महत्व और उसकी विशेषताएँ क्या हैं। पाठ में यह भी चर्चा की गई है कि दाऊद की रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को भी दर्शाती हैं। इसके अतिरिक्त, पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि दाऊद के समकालीन अन्य कवियों और उनकी रचनाओं के बारे में भी जानकारी दी गई है, लेकिन दाऊद की रचनाएँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। पाठ में दाऊद की काव्य शैली, उनके काव्य का विषयवस्तु, और उनके काव्य की सामाजिक प्रासंगिकता पर भी चर्चा की गई है। संपूर्णता में, यह पाठ हिंदी साहित्य के इतिहास में दाऊद की भूमिका और उनके योगदान को उजागर करता है, साथ ही उस समय के साहित्यिक परिवेश की भी जानकारी प्रस्तुत करता है।
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