रामानन्द - सम्प्रदाय तथा हिन्दी - साहित्य पर उसका प्रभाव | Ramanand - Sampraday Tatha Hindi - Sahity Par Usaka Prabhav

By: डॉ-बदरीनारायण-श्रीवास्तव - Dr. Badarinarayan Srivastava
रामानन्द - सम्प्रदाय तथा हिन्दी - साहित्य पर उसका प्रभाव | Ramanand - Sampraday Tatha Hindi - Sahity Par Usaka Prabhav by


दो शब्द :

इस पाठ में रामानंद सम्प्रदाय और हिंदी साहित्य पर उसके प्रभाव का अध्ययन किया गया है। लेखक डॉ. बद्रीनारायण श्रीवास्तव ने इस विषय पर अपने पीएचडी शोध प्रबंध को संशोधित और विस्तारित रूप में प्रस्तुत किया है। रामानंद स्वामी को मध्ययुगीन हिंदी राम-भक्ति साहित्य का मूल प्रेरणा स्रोत माना गया है, और उनके विचारों का प्रभाव कबीर और तुलसीदास जैसे कवियों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। लेखक ने विभिन्न अध्यायों में रामानंद सम्प्रदाय के धार्मिक, दार्शनिक और भक्ति सिद्धांतों का विश्लेषण किया है। उन्होंने रामानंद के जीवन, रचनाओं और सम्प्रदाय के इतिहास का गहन अध्ययन किया है। इस शोध में मौलिक सामग्री का समावेश किया गया है, जिससे रामानंद की विचारधारा और उनके प्रभाव को समझने में मदद मिलती है। प्रस्तुत प्रबंध में रामानंद सम्प्रदाय की धार्मिक पृष्ठभूमि, उसके विकास, भक्ति-पद्धति और पूजा-सिद्धांतों का विस्तृत विवेचन किया गया है। लेखक ने प्रमुख हिंदी कवियों पर रामानंद सम्प्रदाय के प्रभाव का भी अध्ययन किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि रामानंद की भक्ति विचारधारा ने हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस अध्ययन का उद्देश्य रामानंद सम्प्रदाय की महत्वता को उजागर करना और हिंदी साहित्य में उसकी उपस्थिति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषित करना है। लेखक ने अपने शोध कार्य में विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्रित की है और निष्कर्ष निकाले हैं, जो इस क्षेत्र में नई जानकारी प्रदान करते हैं।


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