मैं कहता आँखन देखी | Main Kahta Aakhan Dekhi

By: आचार्य श्री रजनीश (ओशो) - Acharya Shri Rajneesh (OSHO)
मैं कहता आँखन देखी | Main Kahta Aakhan Dekhi by


दो शब्द :

इस पाठ में आचार्य रजनीश के विचारों और उनके व्यक्तित्व का परिचय दिया गया है। आचार्य रजनीश का मानना है कि जीवन में सुख और दुख, प्रकाश और अंधकार, दोनों एक-दूस के अंतर्गत आते हैं और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता। वे इसे जीवन के सत्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जहां दुख और सुख, जन्म और मृत्यु एक ही यात्रा के हिस्से हैं। आचार्य रजनीश ने अपने जीवन में अध्यात्म, धर्म, कला, साहित्य, राजनीति और विज्ञान के क्षेत्र में गहराई से अध्ययन किया है और उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से जीवन की गहनतम जड़ों को छूने का प्रयास किया है। उनका जन्म 1931 में मध्यप्रदेश में हुआ, और उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम.ए. किया। वे एक प्रभावशाली शिक्षक रहे और बाद में उन्होंने साधना और धर्म के पुनर्निर्माण के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। उनकी शिक्षाओं और प्रवचनों ने भारत में बहुत से लोगों को प्रभावित किया है, और उन्होंने जीवन जागृति केंद्र की स्थापना की, जो साधकों और शिक्षार्थियों के लिए एक संगठित मंच है। उनके विचारों में जीवन की गहराइयों और अनुभवों को छूने की क्षमता है, और वे इसे एक नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देते हैं। आचार्य रजनीश का उद्देश्य सच्चाई और ज्ञान की खोज करना और लोगों को उनके भीतर की शक्ति की पहचान कराना है। वे संन्यास को जीवन की सर्वोच्च समृद्धि मानते हैं और एक नई जीवन-दृष्टि को प्रस्तुत करते हैं। उनके प्रवचन और साधना शिविरों के माध्यम से वे लोगों को जागरूक करने और उन्हें आत्म-साक्षात्कार की ओर प्रेरित करने का कार्य करते हैं। पाठ का अंत उनके विचारों के सार के साथ होता है, जहां वे बताते हैं कि सत्य न तो पुराना होता है और न नया, बल्कि वह एक अनुभव है जो हर व्यक्ति के लिए समान होता है। आचार्य रजनीश का यह संदेश है कि हमें अपने भीतर की अनुभूतियों को समझना और उन्हें जीना चाहिए।


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